Friday, 23 August 2013
Wednesday, 30 January 2013
History of Chahal Surname
It is said that Raja Agarsen Surajbansi had four sons :- Chahil, Chhina, Chima and Sahi and that the four Jatt tribes bear these names are sprung from them.
Their original home was Malwa. In Amritsar they say that Chahal was a son of Raja Khang, who once saw some fairies bathing in a tank. He seized their clothes and only restored them on condition that one of them became his bride.
The Chahal migrated to Pakhi Chahilan near Patiala and there founded Rala Joga or Joga Rala in the Malwa.
The Chahil affect Jogi Pir, originally Joga, son of Rajpal, who is said to have been killed after fighting with the mugals.
Distribution in Punjab
Villages in Faridkot district
- Chahal village in Faridkot Tahsil of Faridkot district in Punjab.
- Bir Chahal village in Faridkot Tahsil of Faridkot district in Punjab.
Villages in Gurdaspur district
- Chahal(चहल) village in Batala Tahsil of Gurdaspur district in Punjab.
- Chahal Khurd (चहल खुर्द) village in Batala Tahsil of Gurdaspur district in Punjab.
Villages in Hoshiarpur district
- Chahal is village in Dasua tahsil in Hoshiarpur district in Punjab
Villages in Nawanshahr district
- Chahal is village in Balachaur tahsil in Nawanshahr district in Punjab.
- Chahal Kalan, Chahal Khurd village in Nawanshahr tahsil in Nawanshahr district in Punjab.
Villages in Patiala district
Villages in Sangrur district
- Kheri Chahalan is Village in Dhuri tahsil of Sangrur district in Punjab.
Distribution in Haryana
Villages in Jind district
Villages in Kaithal district
Villages in Sonipat district
Villages in Bhiwani district
Villages in Hisar district
Villages in Kurukshetra district
Villages in Yamunanagar district
Distribution in Uttar Pradesh
Villages in Bijnor district
Villages in Moradabad district
Distribution in Madhya Pradesh
Distribution in Pakistan
Chahal is One of the larger Jat clans, found through out central Punjab. The Chahal are also found in Jhelum and Gujrat Districts. They were also one of the larger Muslim Jat clan in East Punjab.
Notable persons from this clan
- Baba Jogipir - Chahal Gotra
- Chahals-Jat Developer
- Surender Chahal-Programmer
- Mahak Chahal - Actress
- MAJOR HS CHAHAL - The Grenadiers Regiment, OP CACTUS LILY MARTYR 1971, Home state Rajasthan
- Kuldeep Chahal - Resident of Vill.-Ujhna district Jind,Haryana secured 82nd rank in Civil Service Exam.-2008
- Dr.S.M.Chahal - Dean, College Of Anilmal Science, CCS HAU, Hissar
- Mr. Wazir Singh Chahal - S/O Balwant Singh DOB 15-03-1957, Govt. Service Manager Punjab national Bank, B.O. - Kassar, Dist. - Jhajjar, Haryana-124507, House No. - 1269, Sector-6, Bahadurgarh (Haryana) Ph: 01276-242838, 9315876216 (PP-911)
- Mr. Jagdish Singh Chahal - Govt Service Lecturer Education, Haryana Govt. 101/22, Laxmi Nagar Sonepat, Haryana, Ph: 01262-251929 (PP-938)
- Mr. Raj Kumar Chahal - Asstt. Manager NSC Agriculture, C-128, Salimar Garden, Extn-II, Sahibabad Ghaziabad UP, Ph: 011-25712295 (PP-104)
- Bahadur Sardar Arjun Singh Chahal, Chahal - Jat, From Amritsar district was in the List of Punjab Chiefs.
Bhim Singh Dahiya writes about this clan that a part of Khionites/white Hunas, the Chahlas (Chols of European historians) in the fourth century AD, were settled on the east of Caspian sea. This was the period when Jauvlas/Johls were occupying Zabulistan in Ghazni area. In 438-39 AD the Iranian Emperor Yazdegirel II led an expedition against the Chahls to the north of Gurgan. It was at Gurgan in steppes of Dahistan that Yazdegird I had been killed by the Jats in 420 AD, even in his own military headquarters, as Gurgan really was.[3] The Chahls must have come to India in the fifth century AD.[4]
H.A. Rose[5] writes that Chahal (चाहल), or more correctly Chahil (चाहिल).— One of the largest Jat tribes in the Punjab. They are found in greatest numbers in Patiala, but are very numerous inAmbala and Ludhiana, Amritsar, and Gurdaspur, and extend all along under the hills as far west as Gujranwala and Sialkot. It is said that Raja Agarsen Surajbansi had four sons, Chahil, Chhina,Chima, and Sahi, and that the four Jat tribes who bear these names are sprung from them : (yet they intermarry). Their original home was Malwa, whence they migrated to the Punjab. According to another story their ancestor was a Tunwar Rajput called Raja Rikh, who came from the Deccan and settled at Kahlur. His son Birsi married a Jat woman, settled at Matti in the Malwa about the time of Akbar, and founded the tribe.
- In Amritsar the Chahil say that Chahal was a son of Raja Khang, who once saw some fairies bathing in a tank. He seized their clothes and only restored them on condition that one of them became his bride. One Ichhran was given him, on condition that he never abused her, and she bore him a son, but one day he spoke harshly to her and she disappeared.* But to this day noChahil ever abuses his daughter ! Settled first at Kot Gadana near Delhi, the Chahil migrated to Pakhi Chahilan near Ambala and there founded Rala Joga or Jogarla in the Malwa.
- The Chahil affect Jogi Pir, originally Joga, son of Rajpal, who is said to have been killed, after fighting with the Mughals even when he had been decapitated. Jogi Pir is their chhara {?jathera), and a fair is held in his honour on the 4th nauratra in Asauj. In Jind the Chahil claim descent from Bala, a Chauhan Rajput who took a Jat wife, and so lost caste, but he acquired influence by accepting offerings made to Guga, and Chahils, whatsoever their caste, still take these offerings.! In Jind the Chahil worship Khera Bhumia.
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Tuesday, 29 January 2013
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मोहब्बत रूह से महसूस होने वाला एहसास
जब भी किसी प्रेमी से प्यार-मोहब्बत के बारे में पूछा जाता है तो उसका जवाब होता है कि मोहब्बत एक एहसास है, जिसे रूह से महसूस किया जा सकता है। प्यार, जो हमारे संपूर्ण जीवन में विभिन्न रूपों में सामने आता है, यह एहसास दिलाता है कि जिन्दगी कितनी खूबसूरत है। प्रेम इन्सान की सोच, उसके व्यवहार व वाणी सब कुछ में परिवर्तन ले आता है। गांधी नगर व बख्शी नगर के निवासी रोमी, अमनदीप, मोहित व विकास का कहना है कि प्रेम इंसान को विनम्र बना देता है।
रूखे से रूखे इंसान के मन में यदि किसी के प्रति प्रेम की भावना जन्म ले लेती है, तो संपूर्ण प्राणी जगत के लिए वह विनम्र हो जाता है। प्रेम चाहे व्यक्ति विशेष के प्रति हो या ईश्वर के प्रति। आश्चर्यजनक रूप से उसकी सोच, उसका व्यवहार, उसकी वाणी सब कुछ परिवर्तित हो जाता है। प्रेम का एहसास होता है बहुत खूबसूरत प्यार, जिन्दगी का सबसे हसीन जज्बा है। बोलने में यह जितना मीठा है, उसका एहसास उतना ही खूबसूरत और प्यारा है। प्यार के एहसास को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।
उसे व्यक्त करने की आवश्यकता भी नहीं होती। व्यक्ति की आंखें, चेहरा, हाव-भाव यहां तक कि उसकी सांसें दिल का सब भेद खोल देती हैं। प्रेमियों की एक अनोखी दुनिया होती है प्रेम की अनोखी दुनिया में खोकर कोई बाहर आना ही नहीं चाहता। वह जिसे प्यार करता है, खुली आंखों से भी उसी के सपने देखता है। उसके साथ बिताई घडिय़ों को बार-बार याद करता है। उसके लिए सजना-संवरना चाहता है। यही नहीं, औरों से बात करते हुए भी उसी का जिक्र चाहता है। यही प्यार का दीवानापन है और इस दीवानेपन में जो आनंद है वह संसार की किसी भौतिकता में नहीं है।
प्यार कब हो जाता है, पता ही नहीं चलता प्रेम सोच-समझकर की जाने वाली चीज नहीं है। कोई कितना भी सोचे, यदि उसे सच्चा प्रेम हो गया तो उसके लिए दुनिया की हर चीज गौण हो जाती है। प्रेम की अनुभूति विलक्षण है। प्यार कब हो जाता है, पता ही नहीं चलता। इसका एहसास तो तब होता है, जब मन सदैव किसी का सामीप्य चाहने लगता है। उसकी मुस्कुराहट पर खिल उठता है। उसके दर्द से तड़पने लगता है। उस पर सर्वस्व समर्पित करना चाहता है, बिना किसी प्रतिदान की आशा के।
प्रेम को केवल महसूस किया जा सकता है प्यार के इस भाव व रूप को केवल महसूस किया जा सकता है। इसकी अभिव्यक्ति कर पाना संभव नहीं है। बिछोह का दुख, मिलने न मिलने की आशा-आशंका में जो समय व्यतीत होता है, वह जीवन का अमूल्य अंश होता है। उस तड़प का अपना एक आनंद है। प्यार और दर्द का है एक गहरा रिश्ता प्यार और दर्द में गहरा रिश्ता है। जिस दिल में दर्द न हो, वहां प्यार का एहसास भी नहीं होता। किसी के दूर जाने पर जो खालीपन लगता है, जो टीस दिल में उठती है वही तो प्यार का दर्द है।
इसी दर्द के कारण प्रेमी हृदय कितनी ही कृतियों की रचना करता है। प्रेम तो हो जाने वाली चीज है प्रेम में नकारात्मक सोच के लिए कोई जगह नहीं होती। जो लोग प्यार में असफल होकर अपने प्रिय को नुक्सान पहुंचाने का कार्य करते हैं, वे सच्चा प्यार नहीं करते। प्रेम सकारण भी नहीं होता। प्रेम तो हो जाने वाली चीज है। किसी के ख्यालों में खोकर खुद को भुला देना, उसके सभी दर्द अपना लेना, स्वयं को समर्पित कर देना, उसकी जुदाई में दिल में एक मीठी चुभन महसूस करना, हर पल उसका सामीप्य चाहना, उसकी खुशियों में खुश होना, उसके आंसुओं को अपनी आंखों में ले लेना, हां यही तो प्यार है। इसे महसूस करो और खो जाओ उस सुनहरी अनोखी दुनिया में, जहां सिर्फ सुकून है।
रूखे से रूखे इंसान के मन में यदि किसी के प्रति प्रेम की भावना जन्म ले लेती है, तो संपूर्ण प्राणी जगत के लिए वह विनम्र हो जाता है। प्रेम चाहे व्यक्ति विशेष के प्रति हो या ईश्वर के प्रति। आश्चर्यजनक रूप से उसकी सोच, उसका व्यवहार, उसकी वाणी सब कुछ परिवर्तित हो जाता है। प्रेम का एहसास होता है बहुत खूबसूरत प्यार, जिन्दगी का सबसे हसीन जज्बा है। बोलने में यह जितना मीठा है, उसका एहसास उतना ही खूबसूरत और प्यारा है। प्यार के एहसास को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।
उसे व्यक्त करने की आवश्यकता भी नहीं होती। व्यक्ति की आंखें, चेहरा, हाव-भाव यहां तक कि उसकी सांसें दिल का सब भेद खोल देती हैं। प्रेमियों की एक अनोखी दुनिया होती है प्रेम की अनोखी दुनिया में खोकर कोई बाहर आना ही नहीं चाहता। वह जिसे प्यार करता है, खुली आंखों से भी उसी के सपने देखता है। उसके साथ बिताई घडिय़ों को बार-बार याद करता है। उसके लिए सजना-संवरना चाहता है। यही नहीं, औरों से बात करते हुए भी उसी का जिक्र चाहता है। यही प्यार का दीवानापन है और इस दीवानेपन में जो आनंद है वह संसार की किसी भौतिकता में नहीं है।
प्यार कब हो जाता है, पता ही नहीं चलता प्रेम सोच-समझकर की जाने वाली चीज नहीं है। कोई कितना भी सोचे, यदि उसे सच्चा प्रेम हो गया तो उसके लिए दुनिया की हर चीज गौण हो जाती है। प्रेम की अनुभूति विलक्षण है। प्यार कब हो जाता है, पता ही नहीं चलता। इसका एहसास तो तब होता है, जब मन सदैव किसी का सामीप्य चाहने लगता है। उसकी मुस्कुराहट पर खिल उठता है। उसके दर्द से तड़पने लगता है। उस पर सर्वस्व समर्पित करना चाहता है, बिना किसी प्रतिदान की आशा के।
प्रेम को केवल महसूस किया जा सकता है प्यार के इस भाव व रूप को केवल महसूस किया जा सकता है। इसकी अभिव्यक्ति कर पाना संभव नहीं है। बिछोह का दुख, मिलने न मिलने की आशा-आशंका में जो समय व्यतीत होता है, वह जीवन का अमूल्य अंश होता है। उस तड़प का अपना एक आनंद है। प्यार और दर्द का है एक गहरा रिश्ता प्यार और दर्द में गहरा रिश्ता है। जिस दिल में दर्द न हो, वहां प्यार का एहसास भी नहीं होता। किसी के दूर जाने पर जो खालीपन लगता है, जो टीस दिल में उठती है वही तो प्यार का दर्द है।
इसी दर्द के कारण प्रेमी हृदय कितनी ही कृतियों की रचना करता है। प्रेम तो हो जाने वाली चीज है प्रेम में नकारात्मक सोच के लिए कोई जगह नहीं होती। जो लोग प्यार में असफल होकर अपने प्रिय को नुक्सान पहुंचाने का कार्य करते हैं, वे सच्चा प्यार नहीं करते। प्रेम सकारण भी नहीं होता। प्रेम तो हो जाने वाली चीज है। किसी के ख्यालों में खोकर खुद को भुला देना, उसके सभी दर्द अपना लेना, स्वयं को समर्पित कर देना, उसकी जुदाई में दिल में एक मीठी चुभन महसूस करना, हर पल उसका सामीप्य चाहना, उसकी खुशियों में खुश होना, उसके आंसुओं को अपनी आंखों में ले लेना, हां यही तो प्यार है। इसे महसूस करो और खो जाओ उस सुनहरी अनोखी दुनिया में, जहां सिर्फ सुकून है।
Tuesday, 22 January 2013
Sunday, 13 January 2013
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